Friday, October 5, 2018

जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था, 
ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था, 
हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही, 
फासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।

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