आये तुम याद क्यों फिर आज,
कि मर जाने को दिल चाहता है,
नहीं होता सबर अब फिर से,
टूट कर बिखर जाने को दिल
चाहता है !
वो तेरा प्यार चाहे झूठा ही सही,
मगर फिर से पाने को दिल चाहता है,
नहीं अब तो ऐतबार भी तेरा पर,
फिर आजमाने को दिल चाहता है !
जानती हूँ’ कि है धोखा प्यार
में,
पर फिर तुझे अपना बनाने को दिल
चाहता है,
था किसी का मनाने का अंदाज़
भी ऐसा,
कि फिर रूठ जाने को दिल चाहता है !!
कि मर जाने को दिल चाहता है,
नहीं होता सबर अब फिर से,
टूट कर बिखर जाने को दिल
चाहता है !
वो तेरा प्यार चाहे झूठा ही सही,
मगर फिर से पाने को दिल चाहता है,
नहीं अब तो ऐतबार भी तेरा पर,
फिर आजमाने को दिल चाहता है !
जानती हूँ’ कि है धोखा प्यार
में,
पर फिर तुझे अपना बनाने को दिल
चाहता है,
था किसी का मनाने का अंदाज़
भी ऐसा,
कि फिर रूठ जाने को दिल चाहता है !!
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