Thursday, November 27, 2014

भीगी हुई आँखों का ये मंज़र न मिलेगा
घर छोड़ के मत जाओ कहीं घर न मिलेगा
फिर याद बहुत आयेगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम 
जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा

आँसू को कभी ओस का क़तरा न समझना
ऐसा तुम्हें चाहत का समुंदर न मिलेगा
इस ख़्वाब के माहौल में बे-ख़्वाब हैं आँखें
बाज़ार में ऐसा कोई ज़ेवर न मिलेगा
ये सोच लो अब आख़िरी साया है मुहब्बत
इस दर से उठोगे तो कोई दर न मिलेगा.

ख़त मेरा जलाकर ...

आये तुम याद क्यों फिर आज,

आये तुम याद क्यों फिर आज,
कि मर जाने को दिल चाहता है,
नहीं होता सबर अब फिर से,
टूट कर बिखर जाने को दिल
चाहता है !
वो तेरा प्यार चाहे झूठा ही सही,
मगर फिर से पाने को दिल चाहता है,
नहीं अब तो ऐतबार भी तेरा पर,
फिर आजमाने को दिल चाहता है !
जानती हूँ’ कि है धोखा प्यार
में,
पर फिर तुझे अपना बनाने को दिल
चाहता है,
था किसी का मनाने का अंदाज़
भी ऐसा,
कि फिर रूठ जाने को दिल चाहता है !!

kya kahe..

मज़हब, दौलत, ज़ात, घराना, सरहद, गैरत, खुद्दारी,
एक मोहब्बत की चादर को....कितने चूहे कुतर गए।

Sunday, August 17, 2014

मोहब्बत का नतीजा,
दुनिया में हमने बुरा देखा,
जिन्हे दावा था वफ़ा का,
उन्हें भी हमने बेवफा देखा.

Friday, July 11, 2014

ना जाने ढूँढते हो क्या मेरी वीरान आँखों में
छुपा रखे है हमने तो कई तूफान आँखों में
कहां वो शोखियाँ पहले सी, अब कुछ नहीं बाकी
चले आये हो तुम क्या खोजने इन बेज़ान आँखों में
किसी का हाथ लेकर हाथ में जब तुम मिले हम से तो
कैसे टूट के बिखरा था मेरा मान आँखों में
ना समझो चुप हैं तो तुम से कोइ शिकवा नहीं बाकी
हम अपने दर्द की नहीं रखते कोइ पहचान आँखों में
मिले थे बाद मुद्दत कि हमें तुम अज़नबी बन कर
तो कैसे दर्द ना उठता मेरी हैरान आँखों में
नहीं अब फिर से कोइ राबता रखने से कुछ हासिल
कि अब दफ़ना दिये हम ने सभी अरमान आँखों में...!!